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भारतवर्ष में शायद कोई स्थान हो ? जहां इतनी अधिक राम कथा कहीं और सुनी जाती है- रत्नेश प्रपन्नाचार्य

जीवन में आपसे जितना पाप होना था हो गया। आज ही सारे अभिमान को छोड़कर भगवान का भजन करो कल्याण हो जाएगा

पूज्य महाराज जी का आदेश था। मुझे रायपुर और शिवरीनारायण दोनों स्थान पर राम जी की कथा सुनाने का अवसर प्राप्त हुआ। राम जी की कथा का कोई अंत नहीं है। एक जीवन तो क्या ?  कई जन्म कम पड़ जाएंगे यह कथा कभी पूरी नहीं होगी। ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता’ हम कुछ सुना पाए आप जो कुछ सुन पाए उसमें पूज्य गुरुदेव जी एवं भगवान हरि की कृपा समाहित है। यह मार्मिक उद्गार अवधपुरी धाम से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने शिवरीनारायण मठ महोत्सव के समापन अवसर पर अभिव्यक्त की, उन्होंने कहा कि यह पवित्र धाम है भारत वर्ष में शायद कोई ऐसा स्थान होगा जहां इतनी अधिक राम कथा हुई हो। संत और भगवान के चरणों में बैठकर कथा कहने और सुनाने का अवसर मिला यह मेरे जीवन का परम सौभाग्य है, आप लोग सौभाग्यशाली हैं जिन्हें महाराज जी जैसा संत मिला है। इसके पहले उन्होंने राम कथा के अंतिम दिवस श्रोताओं से कहा कि -जो धर्म के पथ पर चलता है, जो सत्य पथ पर चलता है, उसके पैर को कोई हिला नहीं सकता! इसलिए रावण के दरबार में कोई भी अंगद के पांव को हिला नहीं सके। सतयुग में युद्ध दो लोक(देवलोक एवं दैत्य लोक) में होता था। त्रेता में यह दो देशों तक आ गया भारत और श्रीलंका, द्वापर में परिवार के बीच में युद्ध होने लगा (कौरव और पांडव आपस में भिड़ गए)। कलयुग में अब अंर्तद्वंद प्रारंभ हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण में युद्ध की लहरें उठ रही है। वैराग्य का सबसे प्रबल युद्ध काम से होता है। मेघनाथ काम का प्रतीक है उसने लक्ष्मण रूपी वैराग्य पर वीरघातनी शास्त्र का प्रयोग किया। वे मूर्छित हो गए, ध्यान रखना काम वैराग्य को मूर्छित तो कर सकता है लेकिन परास्त नहीं! देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े यह गाकर उन्होंने स्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि- अपने धर्म का पालन वैद्य को करना चाहिए रोगी चाहे कोई भी हो उसका उपचार करना ही डॉक्टर का धर्म है। लंका के वैद्य ने लक्ष्मण जी का उपचार किया।  बेहोसी या मूर्छा काल में राम का नाम उसी के मुख से निकल सकता है जिसने जीवन भर राम- राम रटा हो! श्री रामचरितमानस मानव जीवन का संविधान है हमें वह सब करना चाहिए जो राम जी ने किया है। सोए हुए को जगाना पड़ता है जो जानबूझकर आंखें बंद किया हो उसे जगाना कठिन है। जीवन में जितना पाप होना था हो गया आज ही से सारे अभिमान को छोड़कर भगवान का भजन करो कल्याण हो जाएगा सभी ने रावण को समझाया लेकिन शिव जी ने उसे कभी नहीं समझाया। जो किसी के समझाने से नहीं समझता उसे कभी भी नहीं समझाना चाहिए उन्होंने राम रावण युद्ध से लेकर राम राज्य तक की पूरी कथा श्रोताओं को सुनाया और कहा कि जब भी महाराज जी का आदेश होगा हम शिवरीनारायण का नाम सुनते ही यहां दौड़े चले आएंगे। सब के प्रति आचार्य जी ने आभार भी जताया ।

समापन अवसर पर उमड़ा लोगों का सैलाब
श्री शिवरीनारायण मठ महोत्सव के समापन के अवसर पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए मठ में पैर रखने का जगह नहीं था, मठ के बाहर भी लोग एलइडी टीवी के स्क्रीन पर आचार्य जी को सुन रहे थे। शिवरीनारायण मठ मंदिर के ट्रस्टी बृजेश केसरवानी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया, ट्रस्ट कमेटी के सदस्य राघवेंद्र प्रताप सिंह, हेमंत दुबे, सुखराम दास जी एवं वीरेंद्र तिवारी सहित अनेक लोगों ने सपरिवार अयोध्या से आए हुए संगीत के कलाकारों एवं शास्त्रीयों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से श्री हनुमान मंदिर लखनऊ उत्तर प्रदेश से स्वामी जगदेव दास जी महाराज, बजरंगगढ़ सरकार लाल खुर्द टीकमगढ़, मध्य प्रदेश से श्री महन्त स्वामी हनुमान दास जी महाराज, डोंगा घाट छोटे मठ, चांपा से श्री महन्त नारायण दास जी महाराज,व महेश दास जी अपने संत मंडली के साथ विशेष रूप से उपस्थित थे। समाचार लिखे जाने तक सीताराम विवाह महोत्सव का शुभारंभ नहीं हो पाया था।

आचार्य जी को भेंट की गई संकलित समाचार

शिवरीनारायण मठ महोत्सव में राम कथा का समाचार न केवल जांजगीर चांपा जिले में अपितु उज्जैन, भोपाल(मध्य प्रदेश) सहित अन्य राज्यों में भी एक साथ प्रकाशित हो रहा था। इसको संकलित करके आचार्य जी को महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज एवं ट्रस्ट कमेटी के सदस्यों के कर कमलों से भेंट किया गया। मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव ने कृतज्ञता ज्ञापित की एवं कहा कि सभी पत्रकार साथियों के स्वीकृत पुण्य अयोध्या पहुंचकर भगवान के चरणों में अर्पित होगा।

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