श्रीमद्भागवत कथा: परममोक्ष का द्वार – पं. अंशुमान मिश्रा शास्त्री

राजापारा, चांपा स्थित अधिवक्ता श्री शिवकुमार तिवारी जी के निज निवास पर सर्व पितृ मोक्षार्थ आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के चौथे दिवस पर विद्वान कथा वाचक पं. अंशुमान मिश्रा शास्त्री जी (गौरव ग्राम, सिवनी) ने अपने ओजस्वी और प्रेरणादायक प्रवचनों से श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया।
पं. मिश्रा जी ने अजामिल की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे धर्मपरायण ब्राह्मण अजामिल सांसारिक मोह और अधर्म के कारण पथभ्रष्ट हो गया, लेकिन अंत समय में अपने पुत्र “नारायण” का नाम पुकारने से उसे भगवान विष्णु के नाम का स्मरण हुआ। विष्णुदूतों ने यमदूतों से उसे बचाकर मोक्ष का मार्ग प्रदान किया। इस कथा के माध्यम से भगवान के नाम की महिमा और क्षमा के गुण का महत्व प्रतिपादित किया गया।
प्रहलाद चरित्र और हिरण्यकश्यप वध:
भक्त प्रहलाद के जीवन के माध्यम से शास्त्री जी ने सत्य, साहस और अटल भक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप के विरोध के बावजूद भगवान विष्णु की भक्ति को कभी नहीं छोड़ा।
हिरण्यकश्यप वध प्रसंग में भगवान नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए शास्त्री जी ने धर्म और न्याय की स्थापना के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप के अहंकार का अंत कर धर्म की विजय सुनिश्चित की।
संस्कृत श्लोकों, प्रभावी कथा वाचन और भजनों के माध्यम से शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं ने इसे आनंद का अद्भुत स्रोत बताया।
इस पवित्र आयोजन में नवल-किशोर पाण्डेय, डॉ. रविन्द्र द्विवेदी, शशिभूषण सोनी, अधिवक्ता महेंद्र गुप्ता, शत्रुघ्न लाल तिवारी,आयोजक श्रीमती शशिकला तिवारी, एडवोकेट शिवकुमार तिवारी,परायणकर्ता पं. पवन तिवारी, मुख्य यजमान श्रीमती दिशा अजय तिवारी, श्रीमती स्वाति जय तिवारी, श्रीमती जया विजय तिवारी, एडवोकेट श्रीमती रीतू लक्ष्मीनारायण तिवारी, समृद्धि तिवारी, संपदा तिवारी, आयुष्मान तिवारी, अक्षय तिवारी, कृषांगी तिवारी सहित तिवारी परिवार के अन्य सदस्य, रिश्तेदार और राजापारा क्षेत्र की महिलाएं, बच्चे एवं बुजुर्ग भारी संख्या में उपस्थित रहे।
आरती और प्रसाद वितरण के साथ चौथे दिवस की कथा का समापन हुआ।