शिक्षा विकास का सबसे बड़ा माध्यम…अनुराग

जांजगीर।कुटरा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भड़ेसर में राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वच्छता थीम को लेकर प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य संचालक के रूप में विराजमान रहे श्री सांडे जी प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भड़ेसर, सहायक संचालक के रूप में विराजमान रहे दुर्गेश कुमार चतुर्वेदी जी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की आसंदी पर विराजमान रहे श्री कमल कुमार सांडे जी। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना करते हुऐ की गई। इसके बाद बौद्धिक कार्यक्रम की गोष्ठी का प्रारंभ हुआ। इसमें भारतीय संविधान एवं छत्तीसगढ़ में भाषा का विकास विषय पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के प्रथम वक्ता श्री कमल कुमार सांडे जी के द्वारा भारतीय संविधान में वर्णित विभिन्न धाराओं के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी। साथ ही ग्राम के लोगों को उन्होंने पास्को एक्ट एवं अंधविश्वास निवारण अधिनियम के विषय में भी जानकारी प्रदान की।उनकी बातों को ग्रामीण जनता ने बड़े ध्यान पूर्वक सुना।इसके उपरांत बच्चों के द्वारा करमा गीत की प्रस्तुति दी गई।
छत्तीसगढ़ी भाषा एवं संविधान के विषय में अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता श्री अनुराग तिवारी ने बच्चों को मंच में संबोधित करते हुए कहा कि आज देश में युवकों के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां सामने आ रही है इन सभी चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेरोजगारी के रूप में सामने आ रही है। श्री अनुराग जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए यह बात सामने रखी कि हम ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे सबसे अधिक पिछड़े हुए हैं तो वह है शिक्षा से। शिक्षा में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण यह है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था में बहुत अधिक असमानता का होना। शहरी क्षेत्र में बच्चों के साथ माता-पिता भी बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनके बारे में योजनाएं बनाते हैं और अनेक प्रकार की चुनौतियों का सरलता पूर्वक सामना कर लेते हैं। कारण यह है कि वह शिक्षा के महत्व के बारे में जानते हैं और वह यह भी जानते हैं कि कितने संघर्षों के बाद उन्हें शासकीय सेवा में आने का अवसर प्राप्त हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के माता-पिता अक्सर के कृषक परिवारों से आते हैं, इसके साथ ही साथ उन्होंने शिक्षा से शासकीय सेवा में जाने का कोई विशेष प्रयास भी नहीं किया है और कई प्रकार की भ्रांतियां हैं जिसके कारण उनको लगता है कि शासकीय सेवा में जाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में धन अधिकारियों को देना पड़ता है। यदि हम रिश्वत नहीं दे पाएंगे तो शासकीय सेवा में जाने का अवसर खो देंगे। इस प्रकार की सोच के चलते हुए शिक्षा के ऊपर अधिक ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते परिणाम यह होता है कि बच्चे भी माता-पिता की उदासीनता के कारण शिक्षा में आगे बढ़ने का कोई विशेष प्रयास नहीं कर पाते। किस दिशा में शासन अनेक योजनाएं लेकर बीच-बीच में सामने आते रहती है परंतु उन सभी योजनाओं का कोई विशेष लाभ उन बच्चों को नहीं मिल पाता इसका सबसे बड़ा कारण है कि घर में ही उनको प्रोत्साहन नहीं मिलता। हमको ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार की भ्रांतियों को दूर करना है साथ ही यह भी बताना है कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने जीवन का विकास सहस्त्र पूर्वक कर सकते हैं तथा दूसरों के लिए अपने को उदाहरण के रूप में सामने रख सकते हैं। मुख्य अतिथि की आसंदी पर विराजमान श्री अनुराग तिवारी जी की बातों को ग्रामीण जनता एवं बच्चों ने बड़े ध्यान पूर्वक सुना और उनके भाषणों की सराहना की। कार्यक्रम के सहायक संचालक श्री दुर्गेश कुमार चतुर्वेदी जी ने उपस्थित समस्त अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया और कहा कि आगे भी इसी प्रकार की बौद्धिक कोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा जिसमें आप सब की उपस्थिति प्रार्थनीय है।