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कार सेवा का अयोध्या स्मरण रमाकांत राजवाड़े

रमाकांत राजवाड़े द्वारा सन् 1990 में विश्व परिषद द्वारा राममंदिर निर्माण हेतु कार सेवा का आवाहन किया गया मैं उस समय भारतीय जनता युवा मोर्चा नवागढ़ मंडल का अध्यक्ष था। गांव-गांव जाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु कार सेवा में जाने घर-घर जाकर जन जागरण किया कर सेवा हेतु हमारा दल 12 अक्टूबर 1990 को नैला रेलवे स्टेशन से रवाना हुआ हमारे साथ 50 कारसेवकों का जत्था था जिसका गणनायक दिलीप सिंह जी भैंसमुड़ी थी।
हमारे साथ में ब्यास कश्यप (वर्तमान विधायक जांजगीर-चांपा) प्रमोद तिवारी, जनक राम कर्ष एवं अन्य कार सेवक थे।
नैला स्टेशन से बिलासपुर फिर सारनाथ एक्सप्रेस द्वारा नैनी रेलवे स्टेशन तक हमारा जत्था पहुंच प्रयागराज पहुंचने के बाद हम कुछ युवा कार सेवकों को प्रबंधन में लगा दिया गया।
प्रयागराज में मंदिर में एक सप्ताह सभी कार सेवकों का रहने एवं भोजन की व्यवस्था करते रहे भोजन प्रत्येक घर से बनकर आता था जिसके घर में जितने सदस्य होते थे उसे दुगना भोजन प्रत्येक घर में बंटता था बचे भोजन को हमारे टीम प्रयागराज में लेने घर-घर जाते थे। और सभी कार सेवकों को वितरण करते थे। प्रयागराज वीडियो को कार सेवकों का स्वागत एवं भोजन व्यवस्था करने अभूतपूर्व उत्साह था।
एक सप्ताह प्रयागराज में रहने के बाद देशभर के सभी कार सेवक एक हो जाने पर विश्व हिंदू परिषद् का अयोध्या पहुंचने का निर्देश हुआ हम लोग अयोध्या के लिए लाखों की संख्या में कार सेवक जुलूस निकालकर निकल पड़े फाफा महू पुल जो काफी लंबा है उसमें कार सेवक जैसे ही पहुंचे उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कार सेवकों को रोकने का प्रयास किया गया नहीं रोक पाने पर गुस्साए पुलिस एवं पीएसी के जवान पॉल को घेर कर लाठी चार्ज एवं आंसू गैस के गोला छोड़ने लग गए जिससे हमारे साथियों को काफी चोट आई थी।

किसी तरह हम लोग भाग कर अयोध्या की ओर आगे बढ़े हमको जगह-जगह रोकने का प्रयास किया गया रास्ता रोकने हेतु बाढ़ लगा दिया गया एवं आवागमन रोकने हेतु मुख्य मार्ग को खोद कर खाई बना दिया गया।

फाफामहू लाठी चार्ज के बाद हमारे साथ गए सभी सदस्य अलग-अलग हो गए रमाकांत राजवाड़े, ब्यास कश्यप एवं प्रमोद तिवारी ही साथ रह गए थे।
हमको 30,10, 1990 के पहले अयोध्या पहुंचना है इसलिए लगातार आगे बढ़ते रहे। हम लोग मुख्य रास्ता बंद होने के कारण गांव एवं खेत के रास्ते से नदी नाला पार करते हुए अयोध्या पहुंचे हमको 15 बार गिरफ्तार भी किया गया लेकिन गिरफ्तारी के बाद अस्थाई जेल के रूप में स्कूल कॉलेज भवन ले जाया जाता था। कार सेवकों की इतना भीड़ होता था कि पुलिस वाले ही हमको तुरंत बढ़कर बाहर निकाल देते थे।
प्रयागराज से अयोध्या लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पैदल चलने पर अभूतपूर्व आनंद मिल रहा था रास्ता भर में हमारा अभूतपूर्व स्वागत हो रहा था प्रत्येक गांव में जो रास्ता में जाता था वहां के गांव प्रधान एवं कोटवार एवं मुखिया रास्ता दिखाने में लगे रहते थे प्रत्येक गांव के व्यक्ति रात दिन कार सेवकों का सेवा कर रहे थे प्रत्येक घर में कुछ न कुछ खाने पीने का सामान लेकर वहां के घर वाले अपने घर के सामने खड़े रहते थे कार सेवकों का सेवा राम काज मानकर कर रहे थे जहां नदी नाला पड़ता वहां नाव वाले अपने को केवट मानकर रात दिन कर सेवकों को नदी पार करवा रहे थे।
हम लोगों के पैर में चलते-चलते काफी सूजन हो गया था जिसको गांव वाले पूरा सेवा कर रहे थे हम लोग 29,10,1990 को प्रयागराज से लगातार चलकर अयोध्या पहुंचे गए देव उठानी एकादशी दिनांक 30,10,1990 को कार सेवा प्रारंभ होना था।
अयोध्या के मंदिर में हमारा निवास स्थान रखा गया था हम लोग सुबह सरयू नदी में स्नान कर कार सेवा में चले गए भारी भीड़ था पूरा अयोध्या जय श्री राम एवं रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे की नारे गूंज रहा था।

दिनांक 30,10,1990 को कार सेवा प्रारंभ हो गया बाबरी मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गया रास्ते में जुलूस को रोकने हेतु एवं पीएसी के जवानों द्वारा गंभीर लाठी चार्ज एवं आंसू गैस छोड़ा जाता रहा जिससे कोई भी कार सेवक विचलित नहीं हुए आंसू गैस से बचने के लिए हम लोगों को मंदिर में बताया गया था की आंख के किनारे चुना लेप करने एवं तोलिया को गिला कर आंख को पोछने से आंसू गैस का प्रभाव नहीं पड़ता सभी कार सेवक इसका पालन कर रहे थे।
सभी कार सेवक अनुशासन में रहकर कार सेवा में थे।
दिनांक 30,10,1990 को बावरी मस्जिद टूटने से उत्तर प्रदेश सरकार बदले की भावना से कार सेवकों पर गोली चलाया हजारों कार सेवक बलिदान हो गए पूरा अयोध्या खून से लाल हो गया दिनांक 30,10,1990 के कार सेवा के बाद प्रशासन के दमनात्मक नीति के खिलाफ 2, 11,1990 को विरोध मार्च निकाला गया जो शांतिपूर्ण राम मंदिर की ओर बढ़ रहा था उत्तर प्रदेश के मुलायम सिंह सरकार द्वारा रोकने हेतु आंसू गैस लाठी चार्ज किया गया भीड़ को तब भी रोक नहीं पाया पुलिस उग्र हो गया तथा कार सेवकों पर गोली बरसाना चालू कर दिए कई स्थानों पर गोली चलाया गया जिससे हजारों कार सेवक शहीद हो गए हम लोग जुलूस में चल रहे थे हमारे सामने भी पुलिस द्वारा गोली चलाया गया हम लोगों के साथ चल रहे कार सेवकों को भी गोली लगी थी हम लोग बाल बाल बच गए तथा एक घर में घुस गए मकान मालिक द्वारा हमको संरक्षण दिया गया तथा अपने पलंग के नीचे घुसने को कहा गया हम लोग पलंग के नीचे घुस गए वहां भी पीएसी के जवान यहां कार सेवक थोड़ी है कह कर तलाशी ले रहे थे हम लोग पलंग के नीचे छुप गए थे।
पुलिस द्वारा पलंग को अपने बंदूक से पीट कर देखें कि यहां कोई कार सेवक थोड़ी है हम लोगों का जान भारी मुश्किल से बचा तीन-चार घंटे बाद माहौल शांत हुआ तो घर से बाहर निकले रास्ते में देखें कि पूरा शहर खून से लाल हो गया है जगह-जगह खून दिख रहा था तथा कचरा फेंकने वाली गाड़ी से कार सेवकों की लाश सरयू की तरफ ले जा रहे थे विश्व हिंदू परिषद द्वारा हमको छोड़ा गया तथा ट्रेन के लिए फ्री पास का सील हमारे दाहिने हाथ में लगा दिया गया ट्रेन में टीटी आता तो दिखा देते टिकट नहीं मांगते थे एक महाभारत अपने घर बना रही वापस आए कार सेवा से आने के बाद हमारा जगह-जगह स्वागत किया गया दूसरा कार सेवा हेतु 1992 में अयोध्या गए थे उसमें नैला से सीधा प्रयागराज होते हुए अयोध्या पहुंचे एवं 6, 12,1992 को कार सेवा कर वापस जानकी राई उसे समय उत्तर प्रदेश में भाजपा कल्याण सिंह की सरकार थी कार सेवा में किसी प्रकार से असुविधा नहीं हुई शासन एवं प्रशासन कार सेवकों के साथ था ।

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