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शिक्षक जीवन पर्यंत शिक्षक ही होता है- राजेश्री महन्त जी

विदाई समारोह में अपने पिताजी को भी विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित किया

शिक्षक शासकीय सेवा से अवकाश प्राप्त कर लेने के पश्चात भी सामाजिक दृष्टि से कभी सेवानिवृत्ति नहीं होता, लोग किसी कलेक्टर को सेवानिवृत होने के बाद कलेक्टर नहीं कहते लेकिन शिक्षक को समाज में हमेशा सेवानिवृत्ति के उपरांत भी गुरुजी के नाम से ही पुकारा जाता है यह बातें महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने जैजैपुर विकासखंड अंतर्गत स्थित ग्राम कोटेतरा के प्राथमिक पाठशाला में आयोजित सम्मान आशीर्वाद एवं विदाई समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से अभिव्यक्त की। प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त विद्यालय से सेवानिवृत शिक्षक जी आर आदित्य के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन विद्यालय परिवार की ओर से किया गया था। इसमें राजेश्री महन्त जी महाराज मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। उन्होंने माता सरस्वती के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया,अतिथियों का स्वागत शाल- श्रीफल एवं पुष्प माला से किया गया। राजेश्री महन्त जी महाराज को श्री आदित्य जी ने सपत्नीक चांदी की मुकुट पहनकर सम्मानित किया। अपने आशीर्वचन संदेश में राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि- शासकीय कार्य से सेवानिवृत्त श्री आदित्य जी ने विदाई समारोह में अपने पिताजी को भी विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, यह एक अनुकरणीय पहल है। हमें  अपने माता-पिता एवं विशिष्ट जन का निश्चित ही सम्मान करना चाहिए। श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है कि- प्रात काल उठिके रघुनाथा मातु-पिता गुरु नावहिं माथा। उन्होंने विद्या प्राप्ति के महत्व पर पर भी प्रकाश डाला, सेवा निवृत शिक्षक आदित्य जी ने भी लोगों को संबोधित किया। छात्र-छात्राओं के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर विशेष रूप से ठाकुर कमलेश सिंह, रेखेंन्द्र तिवारी, टेक चंद चंद्रा, बी आर चंद्रा, प्रमोद सिंह, निर्मल दास वैष्णव, सरोज कुमार यादव ,बोधसाय चंद्रा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे, कार्यक्रम का संचालन कंवर सर ने किया।

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