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विश्व को सर्वाधिक प्रभावित राम जी के चरित्र ने किया है -आचार्य रत्नेश

भारतवर्ष वह देश है जहां स्त्री की लाज की रक्षा के लिए एक पक्षी ने अपना बलिदान दे दिया

श्री दूधाधारी मठ के सत्संग भवन में संगीतमय श्री राम कथा एवं भव्य संत सम्मेलन का शुभारंभ 13 नवंबर को अपने निर्धारित समय पर हुआ। अयोध्या धाम से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित आचार्य रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज व्यास पीठ पर आसीन हुए। महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज एवं मठ ट्रस्ट कमेटी के सहयोगियों ने सम्मानपूर्वक तिलक लगाकर आचार्य जी का शाल, श्रीफल से सम्मान किया। रामायण जी की आरती के उपरांत राम कथा का शुभारंभ हुआ। व्यास पीठ की आसंदी से आचार्य जी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि -भारत वर्ष वह देश है जहां स्त्री की लाज की रक्षा के लिए एक पक्षी(जटायू) ने अपने जान का बलिदान दे दिया। वाल्मीकि रामायण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वाल्मीकि रामायण विश्व के समस्त रचनाकारों का स्वीकार्य ग्रंथ है। श्री राम जी का आदर्श चरित्र आदिकाल से आज पर्यंत विश्व को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला चरित्र है। उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रामायण की रचना की जा चुकी है -चरितं रघुनाथस्य शत कोटि प्रविस्तरम्। उल्लेखनीय है कि श्री दूधाधारी मठ में संगीतमय श्री राम कथा एवं भव्य संत सम्मेलन 13 नवंबर से 21 नवंबर 2024 तक आयोजित की गई है। यहां प्रत्येक दिन सुबह 9:00 से दोपहर 12:00 बजे तथा अपराह्न 3:00 से शाम 6:00 बजे तक श्रोताओं को राम कथा सुनने का सुअवसर प्राप्त होगा।

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