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कर्मचारियों का गुस्सा हार की वजह ,पूर्णानंद मिश्रा बोले, कर्मचारियों को नजरअंदाज करना भूपेश सरकार को पड़ा महंगा

रायपुर 5 दिसंबर 2023- विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई है। कांग्रेस पार्टी की इस प्रत्याशित हार के पीछे की वजह कर्मचारियों की नाराजगी भी रही है।

छत्तीसगढ़ संकुल शैक्षिक समन्वयक शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष पूर्णानंद मिश्रा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार को कर्मचारियों को नजर अंदाज करना भारी पड़ा और प्रदेश के 4 लाख नियमित एवं 7 लाख अनियमित कुल 11 लाख कर्मचारीऔर उनके परिवार ने अपने आप को कांग्रेस सरकार से ठगा महसूस करते हुए मतदान किया।,
डाक मतपत्रों की गिनती से ही भाजपा आगे रही जो इस बात की पुष्टि करता है। काग्रेस पार्टी द्वारा घोषणा पत्र में कर्मचारियो से जो वायदे किए गए उस पर अमल नही किया गया।शैक्षिक संकुल समन्वयक पूरे प्रदेश के शिक्षकों में अकादमिक एवं प्रशासनिक कार्यों का समन्वय करता है,,लेकिन उन्हें लगातार बिना वजह के प्रताड़ित किया गया,, उन पर कई जिलों में निलंबन की कार्यवाही की गई,, भरी बैठकों में संकुल समन्वयकों की फजीहत की गई,, सार्वजनिक रूप से अनर्गल आरोप लगाए गए,,,जिससे स्वाभाविक आक्रोश पनपता चला गया ।

पुरानी पेंशन की घोषणा कर शिक्षकों को छला गया,,,रिटायरमेंट के बाद मात्र चंद हजार रूपए शिक्षकों को पेंशन दिया गया,शिक्षकों के एनपीएस के पैसों में खेला किया गया,उनका कोई हिसाब किताब नहीं था,,कर्मचारियों के बीच लगातार समय पर महंगाई भत्ता नहीं मिलना, विलंब से महंगाई भत्ता देना जिसके एरियर्स राशि को शून्य कर देना, पदोन्नति क्रमोन्नति नहीं हो पाना संविदा और अनियमित कर्मचारियों का नियमितिकरण नहीं हो पाना, मृत शिक्षा कर्मियों के अनुकंपा नियुक्ति पीड़ित परिजनों का एक वर्ष से भी ऊपर का हड़ताल,विधवा महिलाओं का मुंडन होना,उसके बाद भी उनसे बात तक न करना,स्वास्थ्य विभाग में हड़तालीजूनियर डॉक्टरों को बिना सुने बर्खास्त करना,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ की लगातार नाराजगी,,मध्यान्ह भोजन में कार्यरत रसोइयों की बस्तर सरगुजा से रायपुर तक सत्ता विरोधी पदयात्रा,पंचायती राज के मेरुदंड पंचायत सचिवों के मांगों की अनदेखी,,,उसके साथ ही जब भी कर्मचारी संगठन, मंत्री या अधिकारियों से मिलते थे तो बातों की अनसुनी होती थी और दिए गए समस्याओं या ज्ञापन पर कोई भी कार्यवाही भी नहीं होती थी।


इस सरकार के कई बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर कर्मचारी संगठनों से अच्छा व्यवहार नहीं करते थे जिसकी जानकारी सरकार को भली भांति होने पर भी किसी प्रकार का सुधार नहीं किया जा रहा था।खासकर शिक्षको के मुद्दे पर पदोन्नती क्रमोन्नति ट्रांसफर पोस्टिंग,संशोधन आदि मुद्दों पर शिक्षक लगातार परेशान रहे जिससे बड़ी संख्या में शिक्षको को न्याय की आस में हाईकोर्ट का शरण लेना पड़ा।

उच्च पदों पर आसीन इन्ही अधिकारियों की कर्मचारी विरोधी नीतियों ने कर्मचारियों के मन मे कांग्रेस सरकार के प्रति कड़वाहट भर दी।पूर्णानन्द मिश्रा प्रान्ताध्यक्ष, मोहन लहरी प्रांतीय सचिव,संतराम बंजारा प्रदेश कोषाध्यक्ष,राजेंद्र प्रसाद सिन्हा प्रदेश प्रवक्ता,डीजेंद्र कुर्रे प्रदेश मीडिया प्रभारी,प्रांतीय पदाधिकारी ओमप्रकाश बघेल,रामचंद्र सोनवानी,कमलेश साहू, आशीष साहू,ओमप्रकाश बघेल, बृजराज गिरी,तरुण सिंह राठौर,सरोज सेठिया,विकास पटेल, हेमेन्द्र साहसी, राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा,खेमलता प्रधान,भूपेश पंडा ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ एक छोटा राज्य है और यहां पर एक या दो परसेंट के मतांतर से सरकार बनती और बिगड़ती है

ऐसे में छत्तीसगढ़ में जब भी कर्मचारियों को नजर अंदाज किया गया है तो निश्चित ही कर्मचारियों ने अपने हक और अधिकार में हानि होते देख एकजुट हो मताधिकार का प्रयोग किया है। संघ ने स्वस्थ प्रजातांत्रिक प्रक्रिया के तहत भाजपा की सरकार बनने पर बधाई दिया एवं भरोसा जताया कि आने वाले समय में भाजपा की सरकार कर्मचारियों के मुद्दे का समय पर निराकरण करेगी।

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