छात्रों के लिए परीक्षा ही अंतिम मंजिल नहीं है -श्रीमती अंजना सिंह परिहार

बोर्ड परीक्षा के समय छात्रों में उत्पन्न तनाव को शिक्षक पालक मिलकर दुर करें
आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में परीक्षा केवल ज्ञान के आकलन का साधन नहीं रह गई है, बल्कि यह कई छात्रों के लिए मानसिक दबाव और चिंता का कारण बन गई है। विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा के समय छात्र अत्यधिक तनाव में आ जाते हैं, और कई बार यह तनाव इतना गहरा हो जाता है कि वे अवसाद में चले जाते हैं। दुर्भाग्यवश, कुछ छात्र अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण आत्मघाती कदम तक उठा लेते हैं। यह स्थिति समाज के लिए चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
जब विद्यार्थी परीक्षा को लेकर अत्यधिक तनाव में रहते हैं, तो यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
1.पढ़ाई में एकाग्रता की कमी
2.घबराहट और अनिश्चितता
3.आत्मविश्वास की कमी
4.अनिद्रा और सिरदर्द जैसी शारीरिक समस्याएँ
5.अवसाद और नकारात्मक विचार।
यदि समय रहते इन भावनाओं को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह गंभीर मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, परीक्षा को जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया मानते हुए, इसे तनाव का कारण नहीं बनने देना चाहिए।
विद्यार्थी जीवन में परीक्षाएँ केवल सीखने और आत्म-मूल्यांकन का माध्यम हैं। यह समझना बहुत ज़रूरी है कि बोर्ड या अन्य परीक्षाएँ जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं होतीं। सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू हैं, और हर अनुभव हमें कुछ न कुछ सिखाता है। परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह व्यक्ति की संपूर्ण योग्यता का मापदंड नहीं हो सकता। जीवन में आगे बढ़ने के कई रास्ते होते हैं, और असफलता को सीखने के अवसर के रूप में देखना चाहिए।
परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों में तनाव को कम करने के लिए माता-पिता, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। यदि हम सभी मिलकर इस दिशा में कार्य करें, तो परीक्षा को एक सहज और सकारात्मक अनुभव बनाया जा सकता है। पालकों को चाहिए कि परीक्षा के समय अपने बच्चों की मानसिकता, भावनाओं और गतिविधियों पर विशेष ध्यान दें।
बच्चों से नियमित संवाद बनाए रखें और उन्हें यह विश्वास दिलाएँ कि परीक्षा ही सब कुछ नहीं है।
बच्चों की मेहनत को सराहें और उनकी सकारात्मकता को बढ़ावा दें।
उन पर अत्यधिक पढ़ाई या अच्छे अंकों के लिए दबाव न डालें, बल्कि उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का प्रयास करें।
परीक्षा के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करें और भयभीत करने वाली बातें करने से बचें।
प्यार और अपनापन दिखाकर परीक्षा के डर को दूर करने में सहायता करें।
शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले नहीं होते, बल्कि वे छात्रों के मार्गदर्शक भी होते हैं।
परीक्षा के समय शिक्षकों को विद्यार्थियों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझना चाहिए।
छात्रों को सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए प्रेरित करें और उनकी कमजोरियों को सुधारने में मदद करें।
परीक्षा की तैयारी के लिए सही रणनीति बताएं और उन्हें आत्मविश्वास से भरपूर करें।
यदि कोई छात्र अत्यधिक तनाव में है, तो उसे उचित परामर्श देकर उसकी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
छात्रों की समस्याओं को सुनकर उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए।
स्कूलों और सामाजिक संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यार्थियों को परीक्षा से संबंधित आवश्यक अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाए।
पूर्व परीक्षाओं के प्रश्नपत्र, नोट्स और शिक्षकों का मार्गदर्शन उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा।
विद्यार्थियों को परीक्षा के समय एक सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण माहौल देने की जरूरत होती है।
पढ़ाई के लिए शांत और स्वच्छ स्थान की व्यवस्था करें।
उनकी खान-पान की ज़रूरतों का ध्यान रखें, ताकि वे शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहें।
परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए मानसिक शांति बहुत आवश्यक होती है, इसलिए बच्चों को पर्याप्त आराम और ध्यान (मेडिटेशन) की सलाह दें।
पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि एक रोमांचक प्रक्रिया के रूप में देखने के लिए प्रेरित करें।
बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करना केवल विद्यार्थियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह माता-पिता, शिक्षक, और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें यह समझना होगा कि परीक्षा केवल ज्ञान का परीक्षण करती है, यह जीवन का अंतिम निर्णय नहीं होती। इसलिए, हमें विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए, उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहयोग देना चाहिए, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सकें।
यदि हम इन प्रयासों को सही दिशा में आगे बढ़ाते हैं, तो निश्चित रूप से हम छात्रों को नकारात्मक विचारों से बचा सकते हैं और आत्महत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोक सकते हैं।
संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।