गीता भारती संस्कृति का समृद्ध ग्रंथ है- राजेश्री महन्त जी भिलाई 3, पदुम नगर में आयोजित गीता जयंती कार्यक्रम में सम्मिलित हुए महन्त जी महाराज

गीता विश्व का एकमात्र ग्रंथ है जिसकी शुरुआत एक अंधे व्यक्ति से होता है। धृतराष्ट्र अपने सचिव संजय से पूछता है कि -हे संजय बताओ कि धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा लिए हुए एकत्रित मेरे और पांडु के पुत्र इस समय क्या कर रहे हैं ? यह बातें महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने गीता जयंती के अवसर पर आयोजित पंचमुखी हनुमान मंदिर पदुम नगर भिलाई 3 के कार्यक्रम में अभिव्यक्त किया, उन्होंने कहा कि द्वापर युग में कुरुक्षेत्र की घटना को राज दरबार में बैठे हुए संजय ने महाराज धृतराष्ट्र को आंखों देखा हाल सुनाया, लोगों ने टेलीविजन का आविष्कार इस युग में किया है लेकिन हमारे भारतवर्ष में यह पद्धति युग -युगांतर पूर्व प्रचलित थी। उन्होंने कहा कि- श्रीमद्भागवत गीता भगवान के मुखारविंद से उद्धृत है, यह विश्व के सर्वोत्कृष्ट ग्रंथों में से एक है, हमें इसका नित्य अध्ययन, चिंतन, मनन करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉक्टर रामकिशोर मिस्र ने कहा कि -गीता में चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है, गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसके प्रत्येक दिन अध्ययन करने से हर दिन नए-नए अर्थ आपको प्राप्त होंगे। लोगों को अवकाश प्राप्त प्रोफेसर जानकी शरण पांडे ने भी संबोधित किया और कहा कि- हर समय हर युग विद्यमान है। इस समय भी सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग है दुनिया की सभी वस्तु गीता में है, परोपकार ही सर्वोत्कृष्ट धर्म है ।उल्लेखनीय है कि भिलाई में आयोजित गीता जयंती के कार्यक्रम में वक्ताओं ने श्रोताओं को गीता की महत्ता पर प्रकाश डालकर भगवान की भक्ति का मार्ग दिखाया। कार्यक्रम का संचालन पंडित सोमनाथ शास्त्री जी ने किया। इस अवसर पर पंडित ओम तिवारी, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित पंचमुखी हनुमान मंदिर संचालन समिति की मातृ शक्तियां एवं पुरुष मंडली बड़ी संख्या में उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि गीता जयंती का कार्यक्रम श्री दूधाधारी मठ में भी मनाया गया।