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यदि भगवान को पाना चाहते हो तो भगवान को ही साध लो- रत्नेश प्रपन्नाचार्य

जीवन में बड़ी सफलता तब मिलती है जब जीवन में सहजता आ जाती है

श्री शिवरीनारायण मठ महोत्सव में लोगों का सैलाब बढ़ते ही जा रहा है पंचम दिवस गांव -गांव से श्रोता बड़ी संख्या में उपस्थित तो हुए साथ ही साथ विद्यालय, महाविद्यालय से भी छात्र-छात्राएं भी शिक्षकों के साथ बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। श्रोताओं को अवधपुरी धाम से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने श्री राम कथा का आश्वादन कराते हुए कहा कि समाज में जो आचरण से गिर जाता है उसे यदि भगवान का चरण कमल मिल जाए तो उसका भी उद्धार हो जाता है। माता अहिल्या का उद्धार श्री रामचंद्र जी ने किया उन्होंने कहा कि ब्रह्म द्रष्टा की तरह है, उसमें ना रास है ना रोष है। ब्रह्म निष्पक्ष है, वह सदैव समान है। जिस क्रोध में रघुवीर जी का डर हो वह क्रोध भी समाज के लिए कल्याणकारी होता है। सुंदरता वह नहीं है जो किसी व्यक्ति को आकर्षित करता हो! सुंदरता तो वह है जो सभी नर -नारी को आकर्षित कर ले। श्री लक्ष्मण जी के चरित्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि -लक्ष्मण जी का चरित्र दंड की तरह है उद्दंड की तरह नहीं। जो ब्रह्म को अपने सिर पर धारण करता है वह दंड है। उद्दंड वह है जो किसी का कहा नहीं मानता! भगवान जब धनुष यज्ञ में धनुष तोड़ने के लिए चलने लगे तब गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा – सहजहिं चले सकल जग स्वामी। जिस परमात्मा ने इस संपूर्ण ब्रह्मांड को बनाया वह साधारण चाल से ही चलने लगा। तात्पर्य यह कि जीवन में बड़ी सफलता तब मिलती है जब जीवन में सहजता आ जाती है। देखने में छोटे लगने वाले लोग भी बड़े-बड़े कार्य करते हैं। कुम्भज ऋषि ने पूरा समुद्र को ही पी लिया। मंत्र छोटा होता है किंतु देवताओं को वश में कर लेता है, अंकुश हाथी को वश में कर लेता है। दीपक भी छोटा होता है किंतु कमरे में व्याप्त अंधकार का हरण कर लेता है। श्रोताओं को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि- यदि जीवन में भगवान को पाना चाहते हो तो भगवान को ही साध लेना इसके लिए किसी साधन या साध्य का सहारा मत लेना यदि आपके हृदय में सच्चा प्रेम होगा तब भगवान अवश्य मिलेंगे- जिन पर जिनके सत्य सनेहु, सो तेही मिलहिं न कछुहिं संदेहु।।  श्री राम कथा में पंचम दिवस कथा श्रवण करने के लिए मंच पर हमेशा की तरह महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज विराजित थे। इनके अलावा दूर-दूर के गांव से तथा नगरीय क्षेत्र से आए हुए लोग एवं लिटिल फ्लावर स्कूल शिवरीनारायण तथा आत्मानंद विद्यालय के छात्र-छात्र भी काफी संख्या में उपस्थित हुए। शिवरीनारायण भगवान के दर्शन के लिए ग्रामीण क्षेत्र से माताएं बड़ी संख्या में उपस्थित हो रही हैं।

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