नवरात्रि: आस्था, आराधना, साधना,उपासना और कामना का पर्व- डॉ कुमुदिनी द्विवेदी

महागौरी-मां दुर्गा देवी का अष्टम स्वरूप।
नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक प्रमुख पर्व है,जो शक्ति और देवी के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। यह पर्व भक्तों के लिए आस्था, आराधना, साधना, उपासना और कामना का प्रतीक है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। हर रूप का अपना विशेष महत्व और पूजन विधि होती है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति प्रदान करती है।
नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है। इस दौरान साधक अपनी साधना के माध्यम से आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं। यह पर्व भक्तों को अपने जीवन में धैर्य, साहस, सच्चाई और शक्ति को अपनाने की प्रेरणा देता है। नवरात्रि के दिनों में किए गए व्रत, पूजा और ध्यान से मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है, साथ ही यह पर्व मनुष्य के मनोबल को बढ़ाता है।
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
नवरात्रि के अष्टम दिन महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी देवी शक्ति का अष्टम स्वरूप हैं, जिनका रंग अत्यंत गोरा, श्वेत या धवल होता है। देवी महागौरी की उपासना से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे शुद्ध, पवित्र और निर्मल आभा प्राप्त होती है। उनकी चार भुजाएँ हैं, जिनमें त्रिशूल, डमरू, वर मुद्रा और अभय मुद्रा धारण करती हैं। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसीलिए उन्हें “वृषारूढ़ा” भी कहा जाता है।
महागौरी का सौंदर्य और श्वेत रंग उनके शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। उन्हें गंगा के समान शुद्ध माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से उनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे वे अत्यंत गोरी हो गईं। इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा।
या देवी सर्वभूतेषु गौरीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
महागौरी की पूजा विशेष रूप से भक्तों की आर्थिक समस्याओं को दूर करने और समृद्धि प्रदान करने के लिए की जाती है। मान्यता है कि उनकी आराधना से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और संपन्नता आती है। महागौरी की कृपा से जीवन के सभी दुख, संकट और कष्ट समाप्त हो जाते हैं और साधक को अलौकिक सुख की प्राप्ति होती है।
महागौरी की पूजा से न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह साधक के जीवन में प्रेम, समृद्धि और सुखद जीवनसाथी की प्राप्ति का भी मार्ग प्रशस्त करती है। विवाहित स्त्रियाँ अपने दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए महागौरी की आराधना करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएँ योग्य वर की कामना के लिए उनका पूजन करती हैं।
महागौरी की पूजा विधि में सफेद फूल, वस्त्र, और नारियल का विशेष महत्व होता है। भक्त उनके चरणों में दूध, शहद और फूल अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सफेद रंग के वस्त्र धारण कर देवी की आराधना करना शुभ माना जाता है। इस दिन देवी के मंत्रों का जाप करना और कन्या पूजन करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ॐ देवी महागौर्यै नमः
इस मंत्र का जाप करने से साधक को शांति, शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि का पर्व शक्ति और भक्ति का अनुपम संगम है। महागौरी की पूजा न केवल भक्तों के पापों का नाश करती है, बल्कि उन्हें पवित्रता, शांति और समृद्धि का वरदान भी देती है। महागौरी की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का आगमन होता है। नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर महागौरी की आराधना से सभी भक्त अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण कर सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।