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न्योता भोज कार्यक्रम:पोषण और शिक्षा का आदर्श संगम

(जांजगीर-चांपा जिले में4357न्योता भोज में271221 हजार विद्यार्थी हुए शामिल)

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत चलाए जा रहे न्योता भोज कार्यक्रम ने बच्चों और समुदाय के बीच एक गहरी सकारात्मक छाप छोड़ी है। मुख्यमंत्री साय के मंशानुरूप 16 फरवरी से शुरू हुई इस योजना से पालक,दानदाताओं और सामाजिक प्रतिनिधियों द्वारा स्कूल में जाकर अपने बच्चों के साथ स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों के साथ खुशियां बांट रहे हैं न्योता भोज कार्यक्रम सामुदायिक सहभागिता से समर्थ की ओर एक बेहतर और अनूठी पहल है।जांजगीर चांपा जिले में बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक नई पहल ने न केवल उनके पोषण स्तर को सुधार है बल्कि शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता के महत्व को भी बढ़ाया है न्योता भोज कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है जिससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास को गति मिले।इस कार्यक्रम में दानदाताओं, सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर स्कूलों में विशेष भोजन का आयोजन किया।जिसमें बच्चों को न केवल पोषक आहार मिला बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व पर भी जागरूक किया गया।जांजगीर- चांपा जिले में 4357 बार आयोजित इस कार्यक्रम में 271 221 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया।बम्हनीडीह विकासखंड में 1001 आयोजनों में 58229 बच्चों को पोषक आहार प्रदान किया गया।अकलतरा मैं 1372 आयोजनों के माध्यम से 97264 छात्रों ने लाभ उठाया।इसी तरह बलौदा विकासखंड में 871आयोजनों में 52752,नवागढ़ में 751 आयोजनों में 41413,पामगढ़ विकासखंड में 362 आयोजनों में 21563 बच्चों को पोषक आहार प्रदान किया गया।न्योता भोज के सफलता का सबसे बड़ा कारण सामुदायिक सहभागिता रही। इसमें दानदाताओं जनप्रतिनिधियों और समाज के गणमान्य नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।इस पहल ने दिखाया कि जब समाज और प्रशासन एक साथ काम करते हैं तो बड़े बदलाव संभव है।इसे सामाजिक समर्थ की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है इस कार्यक्रम में न केवल बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया बल्कि उनमें शिक्षा के प्रति रुचि और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढाई।बेहतर पोषण से बच्चों की पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार हुआ और उनके शारीरिक विकास को भी बढ़ावा मिला।न्योता भोज ने साबित कर दिया है कि सही सोच और सामूहिक प्रयासों से किसी भी चुनौती का समाधान संभव है यह कार्यक्रम न केवल बच्चों को बेहतर जीवन देने की दिशा में कदम है बल्कि समाज में एकता और सहभागिता का प्रतीक भी बन गया है।

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