ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल बनारी, जांजगीर के विद्यार्थियों का विशाखापट्टनम का सफल शैक्षणिक भ्रमण

ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल बनारी, जांजगीर में संस्था के संचालक श्री आलोक अग्रवाल व प्राचार्या श्रीमती सोनाली सिंह के सफल मार्गदर्शन में शाला के कक्षा 6वीं से 11वीं तक के विद्यार्थियों का एजुकेशनल ट्रिप का सफल आयोजन किया गया। इस शैक्षणिक भ्रमण के लिए 7 जनवरी 2024 रविवार को संस्था की प्राचार्या श्रीमती सोनाली सिंह, शिक्षक व शिक्षिकाएँ विद्यार्थियों कुल 30 लोगों की टीम शाम 5 बजे लिंक एक्सप्रेस से विशाखापट्टनम की ओर रवाना हुए। नैला रेल्वे स्टेशन पर सभी विद्यार्थियों के अभिभावकगण व संस्था के संचालक श्री आलोक अग्रवाल बच्चों की सुखद यात्रा की मंगल कामना हेतु उपस्थित रहे। छात्र व छात्राएं 8 जनवरी को विशाखापट्टनम स्टेशन में कुशलतापूर्वक पहुँचे। सुबह के नाश्ते एवं तरो-ताजा होकर बड़े ही उत्साह के साथ कैलाशगिरि के दर्शन के लिए गए जहां बच्चों ने शिव जी पार्वती की 40 फिट उँची प्रतिमा का दर्शन किया कैलाश गिरि से बंगाल की खाड़ी का विहंगम दृष्य देखा और वहां के कला एवं संस्कृति तथा संग्राहलय का अवलोकन किया। कैलाशगिरि में आंध्रा के जनजाती द्वारा निर्मित शिल्प कला, जूट निर्मित कलाकृति के बारे मे जानकारी प्राप्त की तथा पार्क में स्थानीय फल एवं फूल का आनंद लिया। तत्पश्चात् वैंकटेश्वर मंदिर गए जहां पूरी टीम नें भगवान के दर्शन किए एवं मंदिर के अद्भुत नक्काशी एवं शिल्प कला का अवलोकन किया। सी-हैरियर, एयरक्राफ्ट व सबमरीन म्यूजियम का शैक्षणिक भ्रमण किया। जिसमें विद्यार्थियों ने विक्रांत फाईटर एअरक्राफ्ट एवं मिसाईल बम, सुपर सोनिक लड़ाकू विमानों को देखा एवं जानकारी प्राप्त की, मूवी द्वारा वायु सेना के सभी क्रिया कलापों एवं युद्ध के दौरान उपयोग किये जाने वाले उपकरणों को देखे एवं रोमंचित हुए। जल सेना के अनेक युद्धपोतों के मॉडल को देखा, जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान के युध्द के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिसे पाँच महिने पूर्व ही सी-हैरियर म्यूजियम में लाया गया है। इसके बाद एयरक्राफ्ट म्यूजियम में टी. एस. 14 फाइटर जेट को अंदर से देखा, जिसकी पेट्रोल टैंक की क्षमता एक लाख पैंसठ हजार लीटर के लगभग है जिससे वह 16 घंटे का लगातार यात्रा क्षमता रखता था इसके विषय में सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ विद्यार्थियों के द्वारा एकत्रित की गयी। इसके पश्चात् सबमरीन म्यूजियम का भ्रमण किया। जिसमें पनडुब्बी का निरिक्षण किया और जाना कि पनडुब्बी में रहने वाली सेना 60 दिनों तक अपने सारे महत्वपूर्ण सामग्री के साथ प्रवेश करती है। साथ ही यह भी जाना कि सेना के जवानों के लिए अनुशासन व समय प्रबंधन की क्या महत्ता होती है। सभी संग्रहालयों में रिटायर्ड सेना के ऑफिसर व अधिकारियों ने बच्चों का मार्गदर्शन किया, जिसके लिए संस्था की प्राचार्या सोनाली सिंह ने उन्हें विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया फिर सभी विद्यार्थियों ने आर.के. बीच में आनंदपूर्वक भ्रमण किया।
अपने दूसरे दिवसीय भ्रमण में अरकु वैली के कॉफी गार्डन का भ्रमण किया। साथ ही मार्ग के किनारे स्टेप फार्मिंग एवं मसालों की खेती देखी जिसमें बच्चों ने कृषि की विशेष तकनीकों का अवलोकन किया तथा कॉॅफी व चाय के बगानों के लिए उपयुक्त जलवायु के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त की, कॉफी गार्डेन में अरकु वैली के कॉफी कंपनी के द्वारा प्राचार्या, शिक्षक-शिक्षिकाओं व सभी विद्यार्थियों को यात्रा के यादगार स्वरूप कॉफी पैकेट भेंट के रूप में प्रदान किया गया। फिर बोरा केव्स का भ्रमण किया जो की अनंतगिरी पर्वत पर स्थित मॉल्टेन रॉक एव चूना पत्थर से बने विभिन्न आकृतियों को देखा इसकी गइराई लगभग 8 मीटर है और यह भारत की सबसे गहरी गुफा जाना जाता है, जहां पत्थर पिघलकर भाँति-भाँति के आकारोें में स्थायी रूप से आकार ले रहा है। इसके पश्चात् वहां स्थित झरना भी देखा। विशाखापट्टनम के बंगाल की खाड़ी में समुद्र की लहरों का भरपूर आनंद लिया एवं स्थानीय बाजार से शंख, सीप द्वारा निर्मित सामग्रियाँ देखी व यादगार के रूप में खरीदीं।
संस्था की प्राचार्या श्रीमती सोनाली सिंह, श्रीमती भिष्मिता साहू, शिक्षक श्री सागर विश्वकर्मा, श्री ऋषभ अग्रवाल, सुश्री प्रिया राठौर ने पूरे शैक्षणिक भ्रमण के दौरान मार्गदर्शन के साथ-साथ समय-समय पर सभी आवश्यकताओं का भी पूरा ध्यान दिया। रात्रि 9 बजे सभी विद्यार्थी विशाखापट्टनम जंक्शन से बड़े ही सुनहरे व यादगार पलों के साथ वापस नैला-जांजगीर व चांपा के लिए प्रस्थान किए तथा दिनांक 10 जनवरी को सुरक्षित अपने निवास स्थान में आ गए। संस्था के संचालक, प्राचार्या व सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं इन सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते है।