प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्थान चांपा में शिक्षक दिवस सम्मान कार्यक्रम आयोजित

चांपा। प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आध्यात्मिक संस्थान, चांपा में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक भव्य सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी उपस्थित थी। विशिष्ट अतिथियों में माउंट आबू मधुवन से पधारे श्याम भाईजी, सेवानिवृत्त शिक्षक द्वारिका प्रसाद तिवारी, गोल्डन ईरा विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती शैलजा बाजपेयी एवं सहा.प्राध्यापक नारायण सवारकर मंचस्थ रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रजापति ब्रम्हकुमारी चांपा संस्थान की संचालिका ब्रह्मकुमारी रचना दीदी द्वारा की गई।
इस अवसर पर मंचस्थ सभी अतिथियों ने शिक्षक दिवस के महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी ने कहा, “शिक्षक केवल ज्ञान के दाता नहीं होते, बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक भी होते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों को सही दिशा में ले जाने वाले होते हैं, और उनके जीवन में अनुशासन, नैतिकता और सद्गुणों का संचार करते हैं। यह जरूरी है कि शिक्षक स्वयं भी आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपनाकर बच्चों को उनके आंतरिक मूल्य समझाएं।”
विशिष्ट अतिथि श्याम भैयाजी ने अपने उद्बोधन में कहा, “शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं। वे न केवल पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि अपने आचरण द्वारा भी छात्रों को प्रेरित करते हैं। ब्रह्मकुमारी संस्थान में भी यही सिखाया जाता है कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास और आत्मा की शुद्धि होनी चाहिए।”
सेवानिवृत्त शिक्षक द्वारिका प्रसाद तिवारी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “शिक्षक का जीवन त्याग और सेवा का प्रतीक होता है। बच्चों को केवल शिक्षा देना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उन्हें जीवन जीने की कला भी सिखानी चाहिए।”
गोल्डन ईरा की प्राचार्य श्रीमती शैलजा बाजपेयी ने कहा, “वर्तमान समय में शिक्षक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। छात्रों में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना आवश्यक है, ताकि वे समाज में एक आदर्श नागरिक बन सकें।”
प्रोफेसर नारायण सवारकर ने भी शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “शिक्षक वह दीपक हैं, जो अपने ज्ञान से अज्ञान के अंधकार को मिटाते हैं। समाज में शिक्षा के माध्यम से बदलाव लाने का कार्य शिक्षक ही करते हैं।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही ब्रह्मकुमारी रचना दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा, “शिक्षक का जीवन बहुत ही उच्च आदर्शों और मूल्यों का परिचायक होता है। जिस प्रकार दीपक अपनी ज्योति से चारों ओर उजाला फैलाता है, वैसे ही शिक्षक समाज को ज्ञानरूपी प्रकाश से आलोकित करता है। इस आधुनिक युग में, जब समाज में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है, शिक्षकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। शिक्षकों को चाहिए कि वे अपने शिष्यों में केवल बौद्धिक विकास ही नहीं, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का भी विकास करें। यही वास्तविक शिक्षा है जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाती है। उन्होंने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि संस्थान द्वारा नियमित रूप से ध्यान योग मेडिटेशन कराया जाता है। आवश्यकता अनुसार सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के लिए अलग से एक सप्ताह का निःशुल्क विशेष कक्षा आयोजित करेंगे।
इस अवसर पर उपस्थित शिक्षक एवं साहित्यकार रविन्द्र द्विवेदी, श्रीमती उषा बाजपेयी, श्रीमती सुधा तिवारी, श्रीमती रेखा गुप्ता, श्रीमती पद्मावती उपाध्याय, संगीत शिक्षक सुभाष यादव, संगीत शिक्षक चेतन कुमार भाट,श्रीमती सुनीता देवांगन,छबी रानी साहू,मेघा यादव, मंदाकिनी श्रीवास को तिलक चंदन वंदन के साथ श्रीफल, वस्त्र, पुस्तक और मिठाई के पैकेट भेंटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में श्रीमती ममता थवाईत, आरती चौहान सहित बड़ी संख्या में स्थानीय शिक्षक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इस अवसर पर सभी अतिथियों ने प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्थान चांपा की संचालिका ब्रह्मकुमारी रचना दीदी एवं अन्य ब्रह्मकुमारी दीदीयों के योगदान को नमन किया और समाज के विकास में उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों की सराहना की।