संस्कृत के विकास एवं प्रचार प्रसार के लिए पूज्य गुरुदेव जी ने इस विद्यालय की स्थापना की थी -राजेश्री महन्त जी

प्राच्य संस्कृत विद्यालय में शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया
छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थित ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं धार्मिक दृष्टि से प्रमुख स्थान श्री दूधाधारी मठ द्वारा संचालित प्राच्य संस्कृत विद्यालय में आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी (योगिनी एकादशी) के पावन अवसर पर दिनांक – 02/07/2024, मंगलवार को शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया, इसमें श्री दूधाधारी मठ, रायपुर एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर डॉ राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महराज विशेष रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने प्रवेश उत्सव के संदर्भ में अपने संदेश में कहा है कि- छत्तीसगढ़ राज्य में संस्कृत के प्रचार प्रसार एवं विकास को ध्यान में रखकर पूज्य गुरुदेव राजेश्री महन्त वैष्णव दास जी महाराज ने प्राच्य संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी, इस विद्यालय ने अपने स्थापना के वर्ष से लेकर आज पर्यंत देव वाणी संस्कृत के प्रचार-प्रसार में अपना अमूल्य योगदान दिया है आने वाले समय में भी हम निरंतर इसके उन्नति के हर संभव प्रयास करते रहेंगे। इस अवसर पर विशेष रूप से विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ तोयनिधि वैष्णव जी,विद्यालय के प्राध्यापक द्व्य श्री तिवारी जी, श्री मिश्रा जी, श्री दूधाधारी मठ न्यास के न्यासी श्री सुखराम दास जी, मुक्तियार रामछबि दास जी, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डलम् के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुरेश शर्मा जी, रायपुर नगर निगम के पूर्व सभापति श्री प्रफुल्ल विश्वकर्मा जी सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे, अतिथियों ने छात्रों को तिलक एवं अक्षत लगा कर सम्मानित किया। सभी छात्रों ने स्वस्तिवाचन करते हुए प्रवेशोत्सव का पर्व संपादित किया तत्पश्चात् छात्रों को मिष्ठान वितरण किया गया।
विदित हो कि देववाणी संस्कृत भाषा के प्रचार – प्रसार एवं उसे जन – जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस विद्यालय की स्थापना श्रद्धेय राजेश्री महन्त वैष्णव दास जी महराज के द्वारा 24 अप्रैल 1936 को (शुभारंभ) किया गया था, तबसे लेकर आज पर्यन्त अनेक छात्र विद्याध्ययन करके भारतवर्ष के विभिन्न स्थानों में सेवा प्रदान कर रहे हैं।