एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा।।- राजेश्री महन्त जी

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सम्मिलित हुए महामंडलेश्वर
महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अपने एक दिवसीय जांजगीर -चांपा जिला प्रवास के दौरान बिर्रा के समीप स्थित ग्राम देवरहा में पटेल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सम्मिलित हुए। आयोजक परिवार ने उनके पहुंचते ही शंख ध्वनि, विजय घंट एवं गुरुदेव भगवान की जय- जय कार करते हुए उनका बहुत ही आत्मियता पूर्वक स्वागत किया। उन्होंने सपरिवार चरण पखार कर महाराज जी का सत्कार किया। राजेश्री महन्त जी महाराज ने व्यास पीठ पर विराजित आचार्य जी का शाल श्रीफल से सम्मान किया, आचार्य जी ने उनका अभिवादन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर श्रोताओं को अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि- बहुत ही सुखद अवसर है बासंती नवरात्र के पावन अवसर पर हम सभी को श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का रसपान करने का अवसर प्राप्त हुआ है। हमें महाराज परीक्षित के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने अपने जीवन के शेष बचे हुए प्रत्येक क्षण का उपयोग हरि नाम संकीर्तन में किया और अपने लिए तथा अपने पूर्वजों के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर लिया। जीवन क्षणभंगुर है, इसलिए निरंतर भगवत् भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। मनुष्य के तन धारण करने का यही सबसे उत्तम फल है कि हम जीते जी अपने लिए मुक्ति का मार्ग बना सकें, इसके लिए गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने श्री रामचरितमानस में लिखा है कि- एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा ।। रामहि सुमरिअ गाइअ रामहिं। संतत सुनिअ राम गुनग्रामहिं।। यदि हम अपने जीवन में योग यज्ञ जप तप ब्रत पूजा कुछ भी ना कर सकें तो भी कोई बात नहीं, केवल राम के नाम का सुमिरन और भगवान की कथा को निरंतर सुनते रहें तो भी बेड़ा पार हो जाएगा। व्यास पीठ पर विराजित गीता प्रसाद तिवारी जी ने कहा कि- संत के दर्शन का सबसे बड़ा लाभ यही है कि मनुष्य के जीवन में दुखों का अंत हो जाता है। इस अवसर पर राजेश्री महन्त जी महाराज के साथ वीरेंद्र तिवारी, राजेश सिंह, रामखिलावन तिवारी, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव विशेष रूप से उपस्थित थे।