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जगन्नाथ पुरी चार धामों में से एक धाम है यहां आकर कथा सुनने का सौभाग्य मिला- राजेश श्री महन्त जी हम आचार्य जी के वाणी के कायल हैं

जगन्नाथ पुरी चार धामों में से एक धाम है यहां आकर भगवान की कथा सुनने का सौभाग्य मिला। आप सभी यहां सात दिनों से निरंतर भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं, श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है -एक घड़ी आधि घड़ी,आधी के पुनि आध। तुलसी चरचा राम के, कटे कोटि अपराध।। यह बातें दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने जगन्नाथ पुरी के ब्लू लीलि होटल रेसीडेंसी क्षेत्र में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण में श्रोताओं को संबोधित करते हुए अभिव्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के जयपुर से श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के सदस्यों के द्वारा यहां श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन किया गया है, इसमें आचार्य मदन मोहन जी महाराज जयपुर राजस्थान से ब्यास पीठ पर विराजित हैंं। अपने आशीर्वचन संदेश में राजेश्री महन्त जी ने कहा कि- जयपुर से हमारा पुराना संबंध है वहां पाली जिले में स्थित झिथड़ा नामक स्थान है यहां हमारे पूर्वाचार्य कूबादास जी महाराज हुए उनके शिष्य श्री गरीबदास जी महाराज ने महाराष्ट्र पवनी में वेन गंगा के किनारे में आश्रम बनाया, श्री स्वामी गरीब दास जी महाराज के शिष्य श्री स्वामी बलभद्र दास जी महाराज हुए उन्होंने रायपुर में श्री दूधाधारी मठ की स्थापना की वर्तमान में मुझे वहां सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है। व्यास पीठ पर विराजित आचार्य जी ने श्री दूधाधारी मठ एवं श्री शिवरीनारायण मठ में हमें राम कथा का रसपान कराया था हम उनके वाणी के कायल हैं। इस अवसर पर व्यास पीठ पर विराजित आचार्य जी ने अपने संबोधन में कहा कि -हमारा यह सामर्थ नहीं है कि हम श्री दूधाधारी मठ एवं शिवरीनारायण मठ जैसे स्थान पर जाकर कथा वाचन कर सकें यह महाराज जी की कृपा का परिणाम है। हमें उन दिव्य धामों में पहुंचकर कथा वाचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। माता शबरी के चरणों में शिवरीनारायण में जो कथा हमने गई थी उसका स्मरण हमें अभी भी होता है। मंच पर बलराम कोट मठ जगन्नाथ पुरी के श्री महन्त जी, भागवत आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर जी महाराज एवं आचार्य जी विराजमान थे। जगन्नाथ यात्रा में राजेश्री महन्त जी महाराज के साथ श्री सुखराम दास जी, रामप्रिय दास जी, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, सहित अन्य सहयोगी गण शामिल हैं।

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