पंच दिवसीय मानस गायन में उपस्थित हुए राजेश्री महन्त जी एवं शैलेश नितिन

प्रात काल उठिके रघुनाथा, मातु-पिता गुरु नावहिं माथा -राजेश्री महन्त जी
जिला बलौदा बाजार- भाटापारा के बलौदा बाजार विकास खण्ड अन्तर्गत स्थित श्री दूधाधारी मठ के गांव ठेलकी में बाड़ा के सामने परिसर पर पंच दिवसीय मानस गायन का आयोजन किया गया है। इसके शुभारंभ के अवसर पर महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज एवं छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष शैलेश नितिन तिवारी त्रिवेदी जी उपस्थित हुए। ग्राम वासियों ने भजन कीर्तन करते हुए उनका बहुत ही आत्मियता पूर्वक स्वागत किया। बाड़ा पहुंचकर अतिथियों ने सबसे पहले श्री हनुमान जी महाराज का पूजन किया। श्रद्धालु भक्तों में प्रसाद वितरित किया गया, तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत मानस आयोजन समिति एवं ग्राम वासियों के द्वारा किया गया। इसके बाद उपस्थित स्रोताओं को संबोधित करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि- भगवान रघुनाथ जी सुबह उठकर के अपने माता-पिता एवं गुरु को प्रणाम किया करते थे, यह संस्कार हमें श्री रामचरितमानस से सीखने को प्राप्त होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है कि- प्रात काल उठिके रघुनाथा, मातु-पिता गुरु नावहिं माथा ।। उन्होंने कहा कि देश-काल और परिस्थिति के अनुसार उचित पत्र को दिया गया दान ही सार्थक होता है। इस बाड़ा का निर्माण आप सभी के सुख-दुख के कार्यों को संपादित करने के लिए किया गया है। इस अवसर पर श्री त्रिवेदी जी ने कहा कि -भगवान राम के नाम का बहुत महत्व है समुद्र में पुल बांधते समय राम के नाम से पत्थर भी तैर गये ।उन्होंने ग्राम वासियों के भाग्य की सराहना करते हुए कहा कि आज इस कार्यक्रम में आपको भगवान की भक्ति के साथ कथा श्रवण करने का भी लाभ प्राप्त हो रहा है। श्री रामचरितमानस में लिखा है -प्रथम भगति संतन कर संगा, दूसरा रति मम कथा प्रसंगा।। लोगों को गांव के सरपंच विदेश राम ध्रुव एवं डॉ रामचंद्र पटेल ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विशेष रूप से सुखीराम वर्मा,के के वर्मा, सरपंच खमरिया, सियाराम वर्मा, जनक राम वर्मा, हिम्मतलाल वर्मा, नरेश सेन, पीलाराम वर्मा, संतोष दुबे, डॉक्टर राम विशाल वर्मा, संतराम वर्मा, कुंभकरण वर्मा, केवरा वर्मा, सुशील वर्मा, वरुण दुबे, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, हर्ष दुबे सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन धनेश्वर निर्मलकर ने तथा आभार पीलाराम वर्मा ने व्यक्त किया।