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चित्रोत्पला गंगा महाआरती स्थल का निरीक्षण किया राजेश्री महन्त जी ने

कार्यक्रम स्थल में सजावट का कार्य प्रारंभ

चित्रोत्पला गंगा के त्रिवेणी संगम तट में माघी पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले चित्त्रोत्पला गंगा महाआरती के लिए मंच निर्माण एवं सजावट का कार्य प्रारंभ हो गया है, महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर स्थल निरीक्षण किया एवं घाट में मंच निर्माण तथा साज -सज्जा से संबंधित आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दूर- दराज के क्षेत्रों से महा आरती का दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु भक्तों के बैठक व्यवस्था सहित  लोगों को किसी भी तरह से परेशानी का सामना न करना पड़े इसका विशेष ध्यान रखा जाए। महानदी में पानी का स्तर पर्याप्त है इसलिए बहुत से लोग सपरिवार नाव में बैठकर भी महाआरती का दर्शन लाभ प्राप्त करना चाहेंगे उसके लिए भी उन्होंने नदी में नाव में बैठकर कार्यक्रम स्थल का अवलोकन किया! उल्लेखनीय है कि गंगा महाआरती का कार्यक्रम 24 फरवरी को माघी पूर्णिमा के अवसर पर संध्याकालीन बेला में संपन्न होगा। बताया जा रहा है की आरती संपन्न कराने के लिए चांपा सेवा संस्थान से लगभग डेढ़ सौ लोगों का टीम शिवरीनारायण पहुंचेगी, इसमें सात ब्राह्मण आरती करने के लिए एवं सात उनके सहयोगी तथा मंत्रोच्चार करने वाले होंगे, साथ ही संगीतकार एवं फोटोग्राफर तथा पत्रकारों की टीम भी उनके साथ उपस्थित रहेगा, यही नहीं सेवा संस्थान की माताएं भी बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में सहभागिता निभाती हैं। उल्लेखनीय है कि महानदी के त्रिवेणी संगम तट पर गंगा महाआरती प्रतिदिन होता है लेकिन माघी पूर्णिमा के अवसर पर यह वृहद रूप में वार्षिक आयोजन के लिए विख्यात है। इसमें लोग बड़ी संख्या में उपस्थित होकर माघी पूर्णिमा का पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। कार्यक्रम स्थल के निरीक्षण के समय राजेश्री महन्त जी महाराज के साथ मुख्तियार सुखराम दास जी, श्री त्यागी जी महाराज, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, बावा घाट सेवा समिति के स्थानीय पदाधिकारी गण विशेष रूप से उपस्थित थे।

इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया की रहेगी विशेष नजर

शिवरीनारायण के पवित्र स्थान में चित्रोत्पला गंगा महाआरती की महत्ता को ध्यान में रखकर जिले एवं राज्य भर के इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया की विशेष नजर इस पर रहेगी। कारण की शिवरीनारायण का मेला अविभाजित मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा  स्वस्फूर्त मेला है। इसमें लोग सदियों से दर्शन एवं पुण्य लाभ करने के लिए वंशानुगत रूप से चले आ रहे हैं।

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