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हनुमान जन्मोत्सव पर्व पर विशेष आलेख,अष्ट सिद्धि,नव निधि,अटूट शक्ति,अनन्य भक्ति के लिए पूजनीय हनुमान जी – डॉ रविन्द्र  द्विवेदी

पार्वती वल्लभ भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं-संकट मोचन हनुमान जी।

हनुमान जी वानरों के राजा केसरी और अंजना के छ: पुत्रों में से सबसे बड़े और पहले पुत्र है। रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यंत प्रिय है। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है उनमें बजरंगबली भी है। हनुमान जी का अवतार प्रभु रामजी की सेवा सहायता के लिए हुआ। वरदानी रावण का वध करने के लिए भगवान शिव जी अपने इष्ट प्रभु राम जी को सहयोग करने के लिए स्वयं 11वें रुद्र में हनुमान जी के रूप में अवतार लिए हैं।

हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र मेष लग्न के योग में हुआ था।
उनके अंग वज्र के समान थे अतः उन्हें वज्रांग नाम दिया गया जो बोलचाल में बजरंग हो गया। बजरंग सिर्फ महाबली ही नहीं प्रखर बौद्धिक गुणों के सागर एवं सद्गुणों के भंडार थे।

*पवन पुत्र का नाम हनुमान क्यों पड़ा-* इस कथा के अनुसार एक बार बालपन में जब हनुमान जी को खूब भूख लगी थी,तो उन्हें वृक्ष के उपर आकाश में लाल रंग में सूर्य दिखाई दिया। जिसे वह वृक्ष का फल समझ कर खाने के लिए दौड़ पड़े ।उन्होंने जैसे ही सूर्य देव को निगला कि समस्त पृथ्वी पर अंधेरा जाने लगा। तब सभी देवताओं ने मारुति से सूर्यदेव को बाहर उगलने की विनती की। लेकिन मारुति ने अपने बालहठ में किसी की ना सुनी। आखिर इंद्रदेव ने अपने वज्र से मारुति के हनु यानी (ठोड़ी) पर प्रहार किया जिसे हनुमानजी का हनु (ठोड़ी)  टूट गया। इसी कारण ही उनका नाम हनुमान पड़ गया।

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती का पर्व हनुमान जी के जन्म दिवस की खुशी में मनाया जाता है इसलिए इस दिन भगवान हनुमान के मंदिरों में जयंती,जन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। वर्ष 2025 में पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 12अप्रैल शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव पर्व मनाया जा रहा है।

अतुलित बलधामं हेमशैला भदेहं दनुज वन कृशानुनामं ज्ञानिनाम अग्रगण्यं।
सकल गुण निधानं वानराणाम धीशं
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि।।

श्री हनुमान जी परम पराक्रमी, ज्ञानियों में अग्रगण्य एवं अतुलित बल के स्वामी है।भगवान राम के सर्वश्रेष्ठ सेवक, सचिव और भक्त श्री हनुमान जी थे। कहा जाता है कि जहां भी श्री राम की आराधना होती है हनुमान जी वहां मौजूद रहते हैं। हनुमान जी ऐसे प्रत्यक्ष देवता है जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है, इसलिए हनुमान जी की आराधना विश्व भर में की जाती है।
हनुमान जी को बहुत से नामों से जाना जाता है, जिनमें उनकी विशेषताओं और गुणों का प्रतिबिम्ब होता है। ये नाम उनके विभिन्न कार्यों, रूपों और योग्यताओं के आधार पर दिए गए हैं।
हनुमान जी को मारुति, बजरंग बली, अंजनि पुत्र पवनसुत,केसरी नंदन, संकटमोचन के नाम से जाना जाता है।
इनमें से किसी भी नाम के आधार पर सभी देशवासियों को हनुमान जयंती का पर्व विशेष धार्मिक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए, यहां कुछ महत्वपूर्ण तरीके हैं जिनसे हनुमान जयंती पर्व को भक्ति भाव से मनाया जा सकता है:-
1.पूजा-अर्चना: हनुमान जी की पूजा और अर्चना करना इस पर्व का मुख्य त्योहार है। लोग उनकी मूर्ति या चित्र को सजा-सजाकर पूजन करते हैं और उन्हें नैवेद्य, फल, फूल और प्रसाद के रूप में अर्पित करते हैं। 2.भजन-कीर्तन: हनुमान जयंती पर भजन और कीर्तन का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग भगवान हनुमान के गुण और महिमा के गान करते हैं और उनकी भक्ति में लीन होते हैं।
3.कथा पाठ: हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या अन्य हनुमान जी की कथाओं को पढ़ना या सुनना अत्यधिक पुण्यदाई माना जाता है।
4.सेवा: इस अवसर पर भक्तों को अलग-अलग प्रकार की सेवाएं करनी चाहिए, जैसे भोग, नेम, यात्रा का आयोजन करना।
5.ध्यान और मनन: हनुमान जी की भक्ति में लीन होकर ध्यान और मनन करना भी उनके उत्कृष्ट गुणों का अनुभव करने का एक उत्कृष्ट तरीका है।
*हनुमान जी के जयंती पर्व पर प्रसाद भोग में कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाना उन्हें बहुत प्रिय होता हैं।
सिंदूर,सन्तरा,सेव,जनेऊ,रोठ,शहद, मूंगदाल, पंचमेवा,पंचामृत,लौंग, नारियल,बनारसी पान, लाल झंडा,लाल वस्त्र,लाल फूल आदि।
*मान्यता:हनुमान जी आज भी चिरंजीवी है-*
भगवान हनुमान जी शाश्वत काल तक जीवित रहेंगे क्योंकि उन्हें चिरंजीवी अथवा अमरता का वरदान प्राप्त है। जो माता सीता सहित कई देवताओं से मिला था।हनुमान जी की उपस्थिति युगों युगों से विद्यमान है। ऐसा माना जाता है कि भारत के तमिलनाडु राज्य में हनुमान जी का निवास स्थान है,जो पवित्र गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। हनुमान जी की अमरता का संकेत हिंदू धर्म ग्रंथो में मिलता है जहां उनकी मृत्यु का कोई उल्लेख नहीं है। हनुमान जी को भगवान राम से भी अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इसलिए वह कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर है और रहेंगे।भगवान हनुमानजी अमरता और शाश्वत यौवन प्राप्त करके अजेय बन गए हैं ।यही कारण है कि भगवान हनुमान आज भी जीवित है।
इन्हीं मान्यताओं के आधार पर समस्त देशवासियों को हनुमान जयंती का पर्व सामाजिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से मनाना चाहिए।
प्रवनऊं पवन कुमार खल बन पावक ज्ञान घन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप धर।।
हनुमान जयंती की पावन पर्व की असंख्य शुभकामनाएं ।
भगवान हनुमान जी आप सभी के जीवन में खुशियां,समृद्धि, श्री वृद्धि, सफलता लाएं और अक्षय यश प्रदान करें।

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