होली प्रेम,सद्भाव समरसता और सामाजिक सौहार्द्र का महापर्व – डॉ. रविंद्र द्विवेदी

भारत उत्सवों की भूमि है, जहाँ हर पर्व अपने साथ एक विशेष संदेश लेकर आता है। इन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है होली, जिसे रंगों, उमंगों और हर्षोल्लास का उत्सव माना जाता है। यह न केवल रंगों का पर्व है, बल्कि हृदयों में सद्भाव, प्रेम और भाईचारे के रंग भरने वाला महापर्व भी है।
होली के पर्व का उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। इसकी उत्पत्ति के पीछे प्रमुख रूप से प्रह्लाद और होलिका की कथा जुड़ी हुई है।
होलिका दहन की कथा
भक्त प्रह्लाद, जो कि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे, उनके पिता राजा हिरण्यकशिपु स्वयं को ईश्वर मानते थे और विष्णु-भक्ति के विरोधी थे। उन्होंने प्रह्लाद को कई प्रकार की यातनाएँ दीं, किंतु प्रह्लाद अपनी भक्ति से विचलित नहीं हुए। अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना की याद में होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का सबसे सुंदर और प्रसिद्ध रूप श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम के साथ भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी सखियों के संग ब्रज, मथुरा और वृंदावन में गुलाल और रंगों से होली खेलते थे। बरसाने की लट्ठमार होली इसका विशेष उदाहरण है, जहाँ राधा और उनकी सखियाँ रंगों के साथ-साथ हास-परिहास और प्रेममयी छेड़छाड़ के साथ यह उत्सव मनाती हैं।होली सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। यह पर्व ईर्ष्या, भेदभाव, कटुता मिटाकर भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का संदेश देता है। इस दिन लोग पुराने मनमुटाव भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं।होली का संबंध बासंती ऋतु से भी है, जब प्रकृति भी रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती है। यह नया उल्लास, नई ऊर्जा और नवजीवन का प्रतीक भी है। भारत में होली का त्योहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है – कहीं फगुआ गाया जाता है, कहीं ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य किया जाता है, तो कहीं गुझिया, मालपुए और ठंडाई का आनंद लिया जाता है होली का पर्व नववर्ष का आगाज भी माना जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के साथ नववर्ष का आरंभ होता है, और होली के साथ ही एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
“होली का महापर्व आया, कटुता-द्वेष मिटाने आया” – यह पंक्तियाँ वास्तव में होली के सार को प्रकट करती हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि हम अपने मन के विकारों को जलाकर प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के रंग में रंग जाएँ।
इस रंगोत्सव के पावन अवसर पर सभी को स्नेहिल बधाई एवं अनंत शुभकामनाए।