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विकासखंड नवागढ़ में  एक दिवसीय वार्षिक विज्ञान शिक्षक कान्फ्रेंस का आयोजन, शिक्षकों ने साझा किए बच्चों के साथ किए बालशोध के कार्य

विकासखंड नवागढ़ की वार्षिक अकादमिक कार्ययोजना के अनुसार दिनांक 29 फरवरी को विकासखंड शिक्षा विभाग नवागढ़ एवं अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय विकासखंड स्तरीय वार्षिक विज्ञान शिक्षक कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य विज्ञान शिक्षकों द्वारा विद्यालय  में बच्चों  के साथ किए गए बालशोध की प्रक्रिया और अनुभव को साझा करना रहा। इस आयोजन के माध्यम से विकासखंड के 11 शिक्षकों और उनके बच्चों द्वारा विज्ञान के विभिन्न टॉपिक पर किए शोध कार्य को साझा करने का मंच प्रदान किया गया, जहाँ शिक्षक अपने अभिनव प्रयासों को अपने विकासखंड के सक्रिय शिक्षकों के साथ साझा कर सकें।
इस कॉन्फ्रेंस में पहले से चयनित 11 सक्रिय विज्ञान शिक्षक/शिक्षिकाओं ने अपने विद्यालय में लगातार बच्चों के साथ योजनाबद्ध तरीके से विज्ञान को शोध आधारित कक्षा प्रक्रिया से पढ़ाया। बच्चों ने प्रकाश, खाद्य उत्पादन, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ और स्वच्छता, मशीन, पौधों में लैंगिक और अलैंगिक प्रजनन, पौधों के विभिन्न अंग और कार्य जैसे विषय पर शोध किए, बच्चों को समुदाय भ्रमण, नर्सरी भ्रमण, खेत, अस्पताल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ केंद्र आदि का भ्रमण कराते हुए, सर्वे कार्य करते हुए सीखने के अवसर दिए गए। शिक्षकों ने अपने अनुभव में बताया इस शोध के माध्यम से उन्हें विज्ञान को बच्चों के दैनिक जीवन और समुदाय से जोड़ने में मदद मिली, कक्षा की चार दिवारी और पाठयपुस्तक से बाहर निकलकर बच्चे विज्ञान को वृहद स्तर पर समझ पाए। इस प्रकार कार्य करते हुए न केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि अवधारणाओं की गहरी और स्थाई समझ बनी।

शिक्षकों के शोध कार्य प्रस्तुतीकरण की समीक्षा एवं आगे इन प्रयासों को और बेहतर करने के लिए सुझाव के लिए 07 पैनलिस्ट -जिनमें श्री प्रद्युम्न कुमार शर्मा- सेवानिवृत्त वरिष्ठ व्याख्याता डाइट जांजगीर, श्री एम आर चंद्रा विज्ञान व्याख्याता डाइट, जिले की एपीसी श्रीमती हेमलता शर्मा, विकासखंड के प्रिय शिक्षा अधिकारी श्री विजय कुमार लहरे, हाई स्कूल प्रिंसिपल सिवनी श्री राठौर सर, हाई स्कूल के लेक्चरर श्री वीरेन्द्र तिवारी और श्री संतोष कौशिक, आदि उपस्थित थे। 
कान्फ्रेंस की शुरुआत गैलरी वाक से हुई, जिसमें शिक्षक व बच्चों द्वारा शोध कार्य में निर्मित विभिन्न सामग्री और मॉडल का अवलोकन किया। बच्चों और शिक्षकों ने अपने शोध के विषयों को प्रतिभागियों को डेमो देते हुए समझाया। उसके बाद विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री विजय कुमार लहरे ने विज्ञान शिक्षक कान्फ्रेंस के संदर्भ व पूरे दिन की रूपरेखा से सभी शिक्षकों को अवगत कराया। तत्पश्चात मंच संचालन में माध्यमिक शाला पेंडरी की शिक्षिका श्रीमती नमिता गोपाल एवं माध्यमिक शाला बरभाटा से श्री सुशील राय सर ने बड़े शानदार तरीके से मंच संचालन किया। 11 शिक्षक/शिक्षिकाओं के द्वारा शोध कार्यों का एक-एक करके प्रस्तुतीकरण किया गया। शिक्षकों के प्रस्तुतीकरण के बाद पैनलिस्ट द्वारा सभी शिक्षकों की प्रस्तुतीकरण की समीक्षा, जिसमें शिक्षकों का उत्साहवर्धन, बेहतरीन अनुभवों का चिन्हांकन व इसे और बेहतर करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए। विकासखंड स्तर पर इस तरह की अकादमिक शिक्षक कान्फ्रेंस का आयोजन करने का यह पहला प्रयास सभी के लिए काफी सारे सकारात्मक अनुभवों से रूबरू होने, अपने-अपने विद्यालय में सीखने का सकारात्मक वातावरण की दिशा में अग्रसर के लिए मार्गप्रशस्त करेगा।
अंत में विकासखंड शिक्षा अधिकारी द्वारा कान्फ्रेंस में प्रस्तुतीकरण कर रहें शिक्षक/शिक्षिकाओं का उत्साहवर्धन, प्रतिभागियों को ऐसे आगामी सालों में अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहन, इसे और भव्य बनाने जिसमें विकासखंड के ज्यादा-ज्यादा शिक्षक अपने अनुभवों को साझा कर सकें व  इस पूरे कान्फ्रेंस को सफल बनाने में सभी के प्रयासों के लिए धन्यवाद ज्ञापित करतें हुए समापन किया गया।

इस कॉन्फ्रेंस में विकासखंड के 11 शिक्षकों  ने लगभग 45 से अधिक सक्रिय शिक्षकों  एवं संकुल समन्वयकों के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी जिसमें श्रीमती अनिता ध्रुवे और श्रीमती सविता दीवान ने अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन,श्रीमती धर्मिन गड़ेवाल ने मशीनों की भूमिका, ज्ञानेश्वरी भैना ने विद्युत के प्रभाव, श्रीमती गीता लहरे ने पौधों के विभिन्न अंग और कार्य, श्री केदारनाथ स्वर्णकार ने खाद्य पदार्थ और प्रबंधन, श्रीमती मनीषा साहू ने कितना भोजन, कैसा भोजन, सुश्री प्रीति डोंगरे ने पौधों में लैंगिक और अलैंगिक प्रजनन, श्रीमती संगीता चंद्रा ने प्रकाश, श्रीमती शशि सिदार ने स्वास्थ और स्वच्छता, श्रीमती सुषमा गौतम ने पौधों में प्रजनन पर बच्चों के साथ किए कार्य को साझा किया। इन 11 शिक्षकों में से करीब 7 शिक्षकों के लिए इस तरह के मंच पर अपने अनुभव को साझा करने का पहला अनुभव था। इन्होंने अपनी बातचीत में कहा इस शोध के माध्यम से विज्ञान में ऐसे पाठ भी जो अमूमन व्याख्यान विधि से पढ़ा दिया जाता था, उनको भी कैसे सर्वे कार्य, समुदाय भ्रमण कराते हुए अधिक सार्थक, रोचक और अर्थपूर्ण तरीके से पढ़ाया जा सकता है ये समझने में मदद मिली। हमारे प्रतिभागी शिक्षकों ने भी इस बात को दोहराया और ऐसे प्रयास आगे भी विकासखंड में जारी रखने की बात कही।

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